तुम ज़ेहनो को पढ़ती हो
कितनी अच्छी लड़की हो
बात नहीं सुनती हो क्यूँ
गाने भी तो सुनती हो
क्या रिश्ता है शामों से
सूरज की क्या लगती हो
लोग नहीं डरते रब से
तुम लोगों से डरती हो
मैं तो जीता हूँ तुम में
तुम क्यूँ मुझ पे मरती हो
खुश्बू और ठहर जाए
तुम भी हद ही करती हो
किस ने जींस मना की है
पहनो अच्छी लगती हो!
©Sunil Gupta
#think