धूप लगती थी मिट्टी के घर में मगर चुभती ना थी | हिंदी शायरी

"धूप लगती थी मिट्टी के घर में मगर चुभती ना थी तेरे शहर की बिल्डिंगोंं ने तो पसीने निकाल दिये।। ©ANIL MADHUKAR"

 धूप लगती थी मिट्टी के घर में मगर चुभती ना थी
                                                                                                                                                                                                                   तेरे शहर की बिल्डिंगोंं ने तो पसीने निकाल दिये।।

©ANIL MADHUKAR

धूप लगती थी मिट्टी के घर में मगर चुभती ना थी तेरे शहर की बिल्डिंगोंं ने तो पसीने निकाल दिये।। ©ANIL MADHUKAR

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