"' दोस्त'
अनजान सा रिश्ता है,
पर वह बरी सच्ची तरह निभाता है,
मेरे रूठने पर वह मुझे कुछ इस तरह मनाता है,
ऊपर वाले की मेहरबानी है मेरे पर जो वह मेरी जिंदगी में है,
वरना आजकल कौन है इस दुनिया में जो अपने दोस्त को इतनी सच्ची तरह चाहता है |
-चारु"
' दोस्त'
अनजान सा रिश्ता है,
पर वह बरी सच्ची तरह निभाता है,
मेरे रूठने पर वह मुझे कुछ इस तरह मनाता है,
ऊपर वाले की मेहरबानी है मेरे पर जो वह मेरी जिंदगी में है,
वरना आजकल कौन है इस दुनिया में जो अपने दोस्त को इतनी सच्ची तरह चाहता है |
-चारु