आहत होना प्रेम का अंग है। यह ऐसा ही है और हमें इसमें से होकर ही पार जाना है। चोट या दर्द के डर से प्रेम न करना, मन को बंद कर लेना मूर्खता है जो बहुत लोग करते हैं। पर जो इस थोड़ी सी तकलीफ से गुज़रते हैं, उन्हें वास्तविक, आनंदमय प्रेम मिलता है। 🌹🌹
©Vijay Thawani
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