जीस सख्स की आरजू फकत एक एहसास बन कर रह गई हो,
वो एहसास एक अजनबी सा लगता है किसको वफा और किसको बेवफा कहें इस मोहब्ब्त में
जब वो बात बस एक राज़ बन कर रह गई
©abhishek.poetry099
जीस सख्स की आरजू फकत एक एहसास बन कर रह गई हो,
वो एहसास एक अजनबी सा लगता है किसको वफा और किसको बेवफा कहें इस मोहब्ब्त में
जब वो बात बस एक राज़ बन कर रह गई हो।
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