तुम फिर बन के सुकून चले क्यों नहीं आते
या फिर मेरे जेहन से निकल क्यों नही जाते
कुछ गुजरे वक्त याद आए तो गला भर आया
तुम भी अश्कों की तरह बह क्यों नहीं जाते
कितनी तेजी से गुजरे वो तेरे साथ के सफर
तेरे बिना भी ये सफर गुजर क्यों नहीं जाते
सिर्फ इश्क ही तो नहीं था मंजिल मेरा
मुझे ओर कोई ख्वाब नजर क्यों नहीं आते
©Dr Deep
#fealings
#candle