इंसान काम से आ के थक कर रात में सो जाता है! वक़्त | हिंदी Shayari

"इंसान काम से आ के थक कर रात में सो जाता है! वक़्त का कुछ पता नही चलता कब सवेरा हो जाता है! कितना ही मजबूत बन जाए अंदर से या बहार से कोई भी अगर उसका दिल कमजोर है वो भी रो जाता है! इस ज़िंदगी के सबके इतने ख्वाब होते है हर कोई कभी दिन में कभी रात में ख़्वाब में खो जाता है! देखता हूँ रोज रोज रात की ओस को सुबह को हल्का हल्का फूल पत्ते सब कुछ को भिगों जाता है! एक बार फसल खराब होनें के बाद भी फ़सल को किसान दुबारा मेहनत करने के बाद फ़िर से बो जाता है! अपना कहने वालें वैसे बहुत लोग होते हैं लेकिन बुरे वक़्त मे किसके यहां जल्दी कौंन जाता है! ©abhishek sharma"

 इंसान काम से आ के थक कर रात में सो जाता है! 
वक़्त का कुछ पता नही चलता कब सवेरा हो जाता है!

कितना ही मजबूत बन जाए अंदर से या बहार से कोई 
भी अगर उसका दिल कमजोर है वो भी रो जाता है! 

इस ज़िंदगी के सबके इतने ख्वाब होते है हर कोई 
कभी दिन में कभी रात में ख़्वाब में खो जाता है!

देखता हूँ रोज रोज रात की ओस को सुबह को 
हल्का हल्का फूल पत्ते सब कुछ को भिगों जाता है!

एक बार फसल खराब होनें के बाद भी फ़सल को 
किसान दुबारा मेहनत करने के बाद फ़िर से बो जाता है!
 
अपना कहने वालें वैसे बहुत लोग होते हैं लेकिन 
बुरे वक़्त मे किसके यहां जल्दी कौंन जाता है!

©abhishek sharma

इंसान काम से आ के थक कर रात में सो जाता है! वक़्त का कुछ पता नही चलता कब सवेरा हो जाता है! कितना ही मजबूत बन जाए अंदर से या बहार से कोई भी अगर उसका दिल कमजोर है वो भी रो जाता है! इस ज़िंदगी के सबके इतने ख्वाब होते है हर कोई कभी दिन में कभी रात में ख़्वाब में खो जाता है! देखता हूँ रोज रोज रात की ओस को सुबह को हल्का हल्का फूल पत्ते सब कुछ को भिगों जाता है! एक बार फसल खराब होनें के बाद भी फ़सल को किसान दुबारा मेहनत करने के बाद फ़िर से बो जाता है! अपना कहने वालें वैसे बहुत लोग होते हैं लेकिन बुरे वक़्त मे किसके यहां जल्दी कौंन जाता है! ©abhishek sharma

#Night

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