खून की होली खेली अंग्रेजों ने
हर चेहरे का रंग लाल था, झूठा झांसा
देकर बुना ऐसा जाल था, जो
इकट्ठा हुए देशभक्त उनकी एक भी ना
सुनी थी, गोली इतनी चली वहां
पर काफी धुआं उड़ा था, न जाने कितने
देशभक्त का सीना छली हुआ
था, कौन सी वो घड़ी थी कैसा वो काल
था जो भूल गए हैं उस घटना को
याद दिला दूं मैं उन
सबको वो जलियांवाला बाग था।
©Pradeep Kumar
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