सुनो! वो दिन याद है जब हम पहली बार मिले थे हा वही | हिंदी शायरी

"सुनो! वो दिन याद है जब हम पहली बार मिले थे हा वही जब हुए शुरू ये मोहब्बत के सिलसिले थे तुम सज संवर कर आईं थी और मैं रोज के ऑफिस वाले कपड़ों में कुछ आंखो की गुस्ताखी और गिरफ्त हुए हम प्रेम की जकड़ों मैं तुमने कहा था काश ये पल यहीं थम जाए मैने कहा था तुम्हारा हर गम खुशी बन जाए जहा हम बैठे वहा कितने रंगों के फूल खिले थे, सुनो! वो दिन याद है जब हम पहली बार मिले थे। ©"

 सुनो!
वो दिन याद है जब हम पहली बार मिले थे
हा वही जब हुए शुरू ये मोहब्बत के सिलसिले थे
तुम सज संवर कर आईं थी और मैं रोज के ऑफिस वाले कपड़ों में
कुछ आंखो की गुस्ताखी और गिरफ्त हुए हम प्रेम की जकड़ों मैं
तुमने कहा था काश ये पल यहीं थम जाए
मैने कहा था तुम्हारा हर गम खुशी बन जाए
जहा हम बैठे वहा कितने रंगों के फूल खिले थे,
सुनो!
वो दिन याद है जब हम पहली बार मिले थे।

©

सुनो! वो दिन याद है जब हम पहली बार मिले थे हा वही जब हुए शुरू ये मोहब्बत के सिलसिले थे तुम सज संवर कर आईं थी और मैं रोज के ऑफिस वाले कपड़ों में कुछ आंखो की गुस्ताखी और गिरफ्त हुए हम प्रेम की जकड़ों मैं तुमने कहा था काश ये पल यहीं थम जाए मैने कहा था तुम्हारा हर गम खुशी बन जाए जहा हम बैठे वहा कितने रंगों के फूल खिले थे, सुनो! वो दिन याद है जब हम पहली बार मिले थे। ©

#hugday

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