मुस्कुराते सूरज से, मुझे मेरी पहचान मिली है।
इसकी मुस्कुराहट से ही, मेरे अधरों की मुस्कान खिली है।।
है आसमां में सूरज, तो ज़मीन पर जीवन की उम्मीद ज़िंदा है।
बिन सूरज, इस सुंदर सृष्टि की कल्पना ही कहाँ है।।
मुस्कुराते सूरज से, किसानों के आँखों में चमकती ख़ुशी है।
इसकी मुस्कान से ही रोशन, हम सबकी ज़िन्दगी है।।
है सूरज से ही अथ, और सूरज से ही इस धरा की इति है।।
*©मुस्कान सत्यम्*
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©Muskan Satyam
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