झूठी मोहब्बत का दिलासा देकर ढोंग रचता हैं कैसा ज | हिंदी शायरी

""झूठी मोहब्बत का दिलासा देकर ढोंग रचता हैं कैसा ज़माना हैं यहाँ हर कोई दिल में चोर रखता हैं " ©khushi upadhyay"

 "झूठी मोहब्बत का दिलासा देकर ढोंग रचता हैं 
कैसा ज़माना हैं यहाँ हर कोई दिल में चोर रखता हैं "

©khushi upadhyay

"झूठी मोहब्बत का दिलासा देकर ढोंग रचता हैं कैसा ज़माना हैं यहाँ हर कोई दिल में चोर रखता हैं " ©khushi upadhyay

#dilasa

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