मैं तुम्हारे प्रेम के बंधन से बंध कर राम
सकल जग के बंधनों से मुक्त क्षण में हो गया,
मुझ पर तुम्हारी कृपा दृष्टि यूं पड़ी हे राम
सकल भय से मुक्त, भक्ति युक्त क्षण में हो गया।
©®सोमेश त्रिवेदी
#Ram
मैं तुम्हारे प्रेम के बंधन से बंध कर राम
सकल जग के बंधनों से मुक्त क्षण में हो गया,
मुझ पर तुम्हारी कृपा दृष्टि यूं पड़ी हे राम
सकल भय से मुक्त भक्ति युक्त क्षण में हो गया।
©®सोमेश त्रिवेदी