कल की चिंता में अपना आज क्यों खोना है,
जो हुआ ही नहीं वो सोच कर क्यों रोना है।
अगर ना हो सामना मुश्किलों से ज़िंदगी में,
तो ज़िंदगी का क्या ख़ाक ज़िंदगी होना है।
ज़िंदगी का सफ़र खेल है सांप-सीढ़ी का,
यहाँ कभी कुछ पाना तो कभी कुछ खोना है।
लाख बुरा करना चाहे जो कोई तेरा,
होगा वही जो मुक़द्दर में लिखा होना है।
©Neetu yadav
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