दिल का रिश्ता बस एक ऐसा है जो खत्म
नही होता
दर्द तो बहुत होता है
पर उसका कोई मरहम नही होता
उस सख्स द्वारा किया गया हर
सितम
दिल के लिए सितम नही होता
सब कुछ पा के उसे हार जाने के बाद दिल मे
फिर सवेरा नही होता
घाव तो रहता है ताउम्र पर वो हमारे लिए जख्म नही होता
अब किसी इंसान पर भरोसा नही होता
मुस्कान तो होती है चेहरे पर अब हसी का पहरा नही होता