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मौका है दस्तूर भी है,
मौका है दस्तूर भी है,
और महफिल भी सजी है यारों की,
हम चाहे तो करदें बेपर्दा उनके गुनाहों को,
हम चाहे तो करदें बेपर्दा उनके गुनाहों को,
पर खामोश है ये सोचकर कि भरोसा उनपे करने की गलती हमारी थी।
©Vaani
#Sad_Status sad shayari