अपनों को 'प्रताड़ित' करना व्यक्ति उसकी माँ की गोद में रहते हुए ही सीख लेता है। मुँह में पहले दाँत की फूटन के साथ ही वो निहत्था नहीं रहता,उसे उसका पहला हथियार मिल जाता है। जिसका पहला प्रहार वो माँ के स्तन के उस हिस्से पर अपने उस दाँत को गड़ा कर करता है,जहाँ से निकलती अमृत धारा से उसकी माँ उसके सम्पूर्ण जीवन को पोषित करती है। किसी के उसके प्रति किये गए 'उपकारों' को आसानी से भुला देना मनुष्य का सामान्य स्वभाव है और उन उपकारों के बदले में उसी उपकारक पर प्रहार करना उसका 'गुप्त' मूल स्वभाव।
कुछ अनकही बातें
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