सूरज देखो है डूब रहा
दूर कहीं क्षितिज के पास
पहाड़ों के पीछे है छिप रहा
आज हुआ अस्त और हताश,
कल की सुबह एक बार फिर से
सूर्य की तीक्ष्ण नवऊर्जित रश्मि संग,
उदित होगा वो पहाड़ों के उसी छोर से
सूर्योदय की नवल ओजस्वी आभा लिए।
सूर्य-सा चुनौतीपूर्ण जीवन है हर मानव का
आज हुआ त्रस्त फिर अस्त लेकिन ये अंत नहीं,
रुकता नहीं उसका जीवन एक बार अस्त होने से
हार के बाद ही होता है सुहानी जीत का नया सवेरा,
कड़े संघर्ष की तेज़ आंधियों से ही लड़कर उसे मिलता है
जीवन के हर पथ के पड़ाव पर सुख और सुकून का बसेरा।
©Sonal Panwar
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