मैं पसंद नहीं अगर तो इतना वक़्त क्यू बिताते हो.
मैं औरों से अलग नहीं
तो सिर्फ मुझको क्यूं सताते हो
रिस्तों में नहीं बंधना अगर
तो इतना हक क्यूं जताते हो.
फर्क़ नहीं पड़ता मेरे फैसलों से
तो मुझसे उम्मीद क्यूँ लगाते हो.
डरते नहीं मुझे खोने से अगर
तो बेवजह फिक्र क्यूँ दिखाते हो
©मैं शायर तो नहीं
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