अपने खोखले वसूलो को अहम समझ कर
एक इंसान की अहमियत भूल जाता हैं ये समाज
पर जब उसी समाज में चार लोग बात करने लगे तो
उनकी बहसबाजी में दोगला हो जाता है ये समाज
फिर कैसे उम्मीद रख सकता हैं इंसान
कि उसे मान सम्मान दे ये समाज
अरे समाज बनाने वाले तुम हो
और तुम ही अपने कर्म पर उंगली उठा रहे हो
तो फिर कैसे आगे बढ़ेगा इंसान
और उसका बनाया ये समाज
किसी गरीब के घर लक्ष्मी आयी
पर अफसोस साथ रूपये न लायी
वही लालची बाप कहता मेरे घर बहु नहीं बेटी हैं आयी
क्या कीमत लगाया हैं इंसान ने अपने रिश्ते का
क्या इतना भूखा हैं इंसान चंद पैसे का
समझ नही आता समाज बुरा हैं या बुरे हम
सोच समझ से दूर होकर ख़ुद को बिगाड़ रहे हैं हम
.....Sonu Goyal
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©Sonu Goyal
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