ٹوٹ کر چاہا تھا جسے۔ उलफत ए इंतजार में हमने हिज्र
का वक्त भी काटा है।
दूसरो की खुशियों की खातिर
हमने सारे सुखों को बाटा है
और वो जो अपने थे भटक गए हैं
किसी रास्ते में पता ही नही
पता लगा अपनो का तब खुद कोन है
ये पता ही नहीं
©Pankajkumar
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