खड़ा था वह पटाखे की चाह में, कुछ ना बोला कुछ ना क

"खड़ा था वह पटाखे की चाह में, कुछ ना बोला कुछ ना कहा वह, अकेला था वह इस राह में, मेरे पूछने पर ना मैं सिर हिलाया, बोला कुछ ना चाहिए मुझे, फिर खड़ा देखा उसे पटाखे की चाह में, फटे पुराने कपड़े थे उसके, और भूख में तड़पते देखा, उम्र में तो वह बड़ा ही छोटा था, हृदय में स्वाभिमान पलते देखा है, हां मैंने उस मासूम की आंखों में, दिवाली को मरते देखा है🙏🏻🙏🏻 Deep Prjapati🙌🏻 ©ABVP कट्टर हिंदू राष्ट्रवादी"

 खड़ा था वह पटाखे की चाह में,
 कुछ ना बोला कुछ ना कहा वह,
अकेला था वह इस राह में,
मेरे पूछने पर ना मैं सिर हिलाया, 
बोला कुछ ना चाहिए मुझे,
 फिर खड़ा देखा उसे पटाखे की चाह में,
फटे पुराने कपड़े थे उसके, 
और भूख में तड़पते देखा,
 उम्र में तो वह बड़ा ही छोटा था,
हृदय में स्वाभिमान पलते देखा है, 
हां मैंने उस मासूम की आंखों में,
दिवाली को मरते देखा है🙏🏻🙏🏻

Deep Prjapati🙌🏻

©ABVP  कट्टर हिंदू राष्ट्रवादी

खड़ा था वह पटाखे की चाह में, कुछ ना बोला कुछ ना कहा वह, अकेला था वह इस राह में, मेरे पूछने पर ना मैं सिर हिलाया, बोला कुछ ना चाहिए मुझे, फिर खड़ा देखा उसे पटाखे की चाह में, फटे पुराने कपड़े थे उसके, और भूख में तड़पते देखा, उम्र में तो वह बड़ा ही छोटा था, हृदय में स्वाभिमान पलते देखा है, हां मैंने उस मासूम की आंखों में, दिवाली को मरते देखा है🙏🏻🙏🏻 Deep Prjapati🙌🏻 ©ABVP कट्टर हिंदू राष्ट्रवादी

#poordiwali

#Diya

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