"सिर्फ वो मेरे लिए पहला रहा
मैं उसके लिए दूसरा तीसरा चौथा रहा
कहता हैं बेपनाह मोहब्बत करता हूं
मैं नादान इसे खरा सच मानता रहा
वो आज़माता है मेरा सबर और सोच
मैं उस पर अंधा विश्वास जताता रहा
वो लूटा है कई मर्तबा इश्क़ के दरिंदों से
मैं सच जानकर भी साथ निभाता रहा
उसे मालूम था की कोई और नही मेरा
फिर भी किसी गैर का साथ बताता रहा
ये सख्स जो सराफत दिखाता है
बनावटी हैं अब उसपर यकीन ना रहा
कहता हैं दिल का सच्चा है कलाकार
मगर बात- बात पर मुझे परखता रहा
©कलाकार
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