वक्त की धार पर हम जो चलने लगे, जाने क्यों पाँव मेर | हिंदी कविता

"वक्त की धार पर हम जो चलने लगे, जाने क्यों पाँव मेरे फिसलने लगे? फख्र था मुझको जिन दोस्तों पर बहुत, वक्त बदला तो वो भी बदलने लगे। ©भावों के मोती……"

 वक्त की धार पर हम जो चलने लगे,
जाने क्यों पाँव मेरे फिसलने लगे?
फख्र था मुझको जिन दोस्तों पर बहुत,
वक्त बदला तो वो भी बदलने लगे।

©भावों के मोती……

वक्त की धार पर हम जो चलने लगे, जाने क्यों पाँव मेरे फिसलने लगे? फख्र था मुझको जिन दोस्तों पर बहुत, वक्त बदला तो वो भी बदलने लगे। ©भावों के मोती……

#Dosti

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