सोचती हूँ एक पल ऐसा भी आए ज़िंदगी में, ज़िंदगी जो है

"सोचती हूँ एक पल ऐसा भी आए ज़िंदगी में, ज़िंदगी जो है तेरी अमानत, समा जाए तुझ ही में । तेरी ही यादों का बसेरा हो मेरे जेहन-ओ-करम में, काश ,मेरा हर लम्हा बीते यूँ ही, तेरी ही पनाह में । यादों का क़हर जो आज छाया है मेरे दिल पर, काश, सुकून थोड़ा सा मिल जाए, मुझे भी इस बेचैनी में। तड़प रही हूँ मैं प्यार के इस जहान में, काश, कभी इश्क़-ए-बहार छा जाए, मेरे भी इस गुलिस्ताँ में ।"

 सोचती हूँ एक पल ऐसा भी आए ज़िंदगी में,
ज़िंदगी जो है तेरी अमानत, समा जाए तुझ ही में ।

तेरी ही यादों का बसेरा हो मेरे जेहन-ओ-करम में,
काश ,मेरा हर लम्हा बीते यूँ ही, तेरी ही पनाह में ।

यादों का क़हर जो आज छाया है मेरे दिल पर,
काश, सुकून थोड़ा सा मिल जाए, मुझे भी इस बेचैनी में।

तड़प रही हूँ मैं प्यार के इस जहान में,
काश, कभी इश्क़-ए-बहार छा जाए, मेरे भी इस गुलिस्ताँ में ।

सोचती हूँ एक पल ऐसा भी आए ज़िंदगी में, ज़िंदगी जो है तेरी अमानत, समा जाए तुझ ही में । तेरी ही यादों का बसेरा हो मेरे जेहन-ओ-करम में, काश ,मेरा हर लम्हा बीते यूँ ही, तेरी ही पनाह में । यादों का क़हर जो आज छाया है मेरे दिल पर, काश, सुकून थोड़ा सा मिल जाए, मुझे भी इस बेचैनी में। तड़प रही हूँ मैं प्यार के इस जहान में, काश, कभी इश्क़-ए-बहार छा जाए, मेरे भी इस गुलिस्ताँ में ।

#waiting

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