जब जुल्म का शिकार हुआ दिल मेरा तंगदस्ती में मेरी

"जब जुल्म का शिकार हुआ दिल मेरा तंगदस्ती में मेरी रूह रहने लगी अजियतो से कहाँ मेरा याराना था अब हर रोज गम ए रन्ज की धूंप मुझ पर छाने लगी कभी रोने लगा कभी मुस्कराने लगा छांव भी मुझ पर अपना सितम ढाने लगी बैठ गया हाथ मे कलम लेकर खत्म मेरी फिर स्याही थी ख़ंजर से दिल को छलनी कर डाला तब लहू से कुछ बनाई स्याही थी उठाई कलम हाल ए दिल कागज पर लिखने को बदवक़्त मेरी किस्मत फिर मुझ पर मुस्कराने लगी थी जब जुल्म का शिकार हुआ दिल मेरा ✍️imran ilahi"

 जब जुल्म का शिकार हुआ दिल मेरा 
तंगदस्ती में मेरी रूह रहने लगी 
अजियतो से कहाँ मेरा याराना था 
अब हर रोज गम ए रन्ज की धूंप मुझ पर छाने लगी 
कभी रोने लगा कभी मुस्कराने लगा
छांव भी मुझ पर अपना सितम ढाने लगी 
बैठ गया हाथ मे कलम लेकर 
खत्म मेरी फिर स्याही थी 
ख़ंजर से दिल को छलनी कर डाला 
तब लहू से कुछ बनाई स्याही थी 
उठाई कलम हाल ए दिल कागज पर लिखने को 
बदवक़्त मेरी किस्मत फिर मुझ पर मुस्कराने लगी थी 
जब जुल्म का शिकार हुआ दिल मेरा 
✍️imran ilahi

जब जुल्म का शिकार हुआ दिल मेरा तंगदस्ती में मेरी रूह रहने लगी अजियतो से कहाँ मेरा याराना था अब हर रोज गम ए रन्ज की धूंप मुझ पर छाने लगी कभी रोने लगा कभी मुस्कराने लगा छांव भी मुझ पर अपना सितम ढाने लगी बैठ गया हाथ मे कलम लेकर खत्म मेरी फिर स्याही थी ख़ंजर से दिल को छलनी कर डाला तब लहू से कुछ बनाई स्याही थी उठाई कलम हाल ए दिल कागज पर लिखने को बदवक़्त मेरी किस्मत फिर मुझ पर मुस्कराने लगी थी जब जुल्म का शिकार हुआ दिल मेरा ✍️imran ilahi

#sadmoodshayari

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