शायर " उम्मीदों की रेत पर बनाए, हमारे ख्वाहिश | English Shayari

"" शायर " उम्मीदों की रेत पर बनाए, हमारे ख्वाहिशों के महल अक्सर ढह जाते हैं। हम शायर हैं जनाब , अक्सर जिंदगी में तन्हा ही रह जाते हैं। लोग पूछते हैं अक्सर कैसे लिख लेते हो ये सब , अब उन्हें क्या पता के ख़्याल उसके रात बेरात आते हैं। हम जाते है अक्सर बुलाने पर उसके पहन के रंगीन लिबास, मगर हर बार उनकी महाफिलों से बेरंग ही लोट आते हैं। यूं तो थामे हैं दामन पहले भी हमने कई , ना जाने क्यों एक मोड़ पर आकर सब हाथ छुड़ा जाते है। हम शायर हैं जनाब , अक्सर जिंदगी में तन्हा ही रह जाते हैं। ©"Author Shami" ✍️ (Satish Girotiya)"

 " शायर "

उम्मीदों की रेत पर  बनाए,
 हमारे ख्वाहिशों के महल अक्सर ढह जाते हैं।

हम शायर हैं जनाब ,
अक्सर जिंदगी में तन्हा ही रह जाते हैं।

लोग पूछते हैं अक्सर कैसे लिख लेते हो ये सब , 
अब उन्हें क्या पता के ख़्याल उसके रात बेरात आते हैं। 

हम जाते है अक्सर बुलाने पर उसके पहन के रंगीन लिबास, 
मगर हर बार उनकी महाफिलों से बेरंग ही लोट आते हैं। 

यूं तो थामे हैं दामन पहले भी हमने कई , 
ना जाने क्यों एक मोड़ पर आकर सब हाथ छुड़ा जाते है। 

हम शायर हैं जनाब , अक्सर जिंदगी में तन्हा ही रह जाते हैं।

©"Author Shami" ✍️ (Satish Girotiya)

" शायर " उम्मीदों की रेत पर बनाए, हमारे ख्वाहिशों के महल अक्सर ढह जाते हैं। हम शायर हैं जनाब , अक्सर जिंदगी में तन्हा ही रह जाते हैं। लोग पूछते हैं अक्सर कैसे लिख लेते हो ये सब , अब उन्हें क्या पता के ख़्याल उसके रात बेरात आते हैं। हम जाते है अक्सर बुलाने पर उसके पहन के रंगीन लिबास, मगर हर बार उनकी महाफिलों से बेरंग ही लोट आते हैं। यूं तो थामे हैं दामन पहले भी हमने कई , ना जाने क्यों एक मोड़ पर आकर सब हाथ छुड़ा जाते है। हम शायर हैं जनाब , अक्सर जिंदगी में तन्हा ही रह जाते हैं। ©"Author Shami" ✍️ (Satish Girotiya)

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