White जो जीत गए वो अच्छे हैं, पर हार गए जो उनका क् | हिंदी कविता

"White जो जीत गए वो अच्छे हैं, पर हार गए जो उनका क्या? इस रण में अपना तन- मन- श्रम, हैं वार गए जो उनका क्या? जीवन भी कठिन पहेली है, संघर्ष सभी को सिखलाती, जब आती है फल देने को, तो एक- एक से इठलाती। दोनों दल सबल हैं, सक्षम हैं, अंतिम पड़ाव तक आए जो, फिर नियति चक्र के मध्य फंसा, कोई कर्ण- सा मारा जाए तो? वह छात्र जो बस दो अंकों से, निज स्वप्न से दूर हो जाता है, या वह जो नियति की फांसी में, स्वग्रिव कसा हुआ पाता है। हैं सभी विजेता जिसने भी संघर्ष को गले लगाया है, अंतिम क्षण तक अपने पथ पर हर वीर जो लड़ता आया है। दुनिया वालों! हर योद्धा का, लगा विजय तिलक सम्मान करो, करने को कर्म करो प्रेरित, मत जीत हार पर मान करो। पर्वत पर चढ़ने वालों ने, दुनिया में उन्नत नाम किया, उन शिखरों से टकरा मृत्यु स्वीकार गए जो उनका क्या? पर हार गए जो उनका क्या? ©Umang Agrawal"

 White जो जीत गए वो अच्छे हैं, पर हार गए जो उनका क्या?
इस रण में अपना तन- मन- श्रम, हैं वार गए जो उनका क्या?

जीवन भी कठिन पहेली है, संघर्ष सभी को सिखलाती,
जब आती है फल देने को, तो एक- एक से इठलाती।
दोनों दल सबल हैं, सक्षम हैं, अंतिम पड़ाव तक आए जो,
फिर नियति चक्र के मध्य फंसा, कोई कर्ण- सा मारा जाए तो?

वह छात्र जो बस दो अंकों से, निज स्वप्न से दूर हो जाता है,
या वह जो नियति की फांसी में, स्वग्रिव कसा हुआ पाता है।
हैं सभी विजेता जिसने भी संघर्ष को गले लगाया है,
अंतिम क्षण तक अपने पथ पर हर वीर जो लड़ता आया है।

दुनिया वालों! हर योद्धा का, लगा विजय तिलक सम्मान करो,
करने को कर्म करो प्रेरित, मत जीत हार पर मान करो।
पर्वत पर चढ़ने वालों ने, दुनिया में उन्नत नाम किया,
उन शिखरों से टकरा मृत्यु स्वीकार गए जो उनका क्या?
पर हार गए जो उनका क्या?

©Umang Agrawal

White जो जीत गए वो अच्छे हैं, पर हार गए जो उनका क्या? इस रण में अपना तन- मन- श्रम, हैं वार गए जो उनका क्या? जीवन भी कठिन पहेली है, संघर्ष सभी को सिखलाती, जब आती है फल देने को, तो एक- एक से इठलाती। दोनों दल सबल हैं, सक्षम हैं, अंतिम पड़ाव तक आए जो, फिर नियति चक्र के मध्य फंसा, कोई कर्ण- सा मारा जाए तो? वह छात्र जो बस दो अंकों से, निज स्वप्न से दूर हो जाता है, या वह जो नियति की फांसी में, स्वग्रिव कसा हुआ पाता है। हैं सभी विजेता जिसने भी संघर्ष को गले लगाया है, अंतिम क्षण तक अपने पथ पर हर वीर जो लड़ता आया है। दुनिया वालों! हर योद्धा का, लगा विजय तिलक सम्मान करो, करने को कर्म करो प्रेरित, मत जीत हार पर मान करो। पर्वत पर चढ़ने वालों ने, दुनिया में उन्नत नाम किया, उन शिखरों से टकरा मृत्यु स्वीकार गए जो उनका क्या? पर हार गए जो उनका क्या? ©Umang Agrawal

पर हार गए जो उनका क्या?

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