अधूरे अल्फ़ाज़ अधूरे अल्फाज मेरे, जो हरदम रहे अधूर | हिंदी शायरी
"अधूरे अल्फ़ाज़ अधूरे अल्फाज मेरे,
जो हरदम रहे अधूरे।
ना इन्हें कोई मुसाफिर मिला,
ना कोई राही मिला।
यह हर पल भटकते रहे,
किसी से सम्मान को बेचैन रहे।
खुदा कोई बंदा भेज देना
अधूरी अल्फाजों को पूरा करने के लिए,
अब इन अल्फाजों को अधूरा रहे चैन नहीं आता।।"
अधूरे अल्फ़ाज़ अधूरे अल्फाज मेरे,
जो हरदम रहे अधूरे।
ना इन्हें कोई मुसाफिर मिला,
ना कोई राही मिला।
यह हर पल भटकते रहे,
किसी से सम्मान को बेचैन रहे।
खुदा कोई बंदा भेज देना
अधूरी अल्फाजों को पूरा करने के लिए,
अब इन अल्फाजों को अधूरा रहे चैन नहीं आता।।