अक्षर अक्षर हमें सिखा कर
अक्षर अक्षर हमें सिखा कर,
देते अद्भुत ज्ञान हैं।
उस ज्ञान से परिपक्व हो कर,
मिला हमें सम्मान है।
पहली गुरु ही माँ है होती,
कहें सभी विद्वान हैं।
दूजे में फिर गुरु हैं आते,
जो दिलाते मान हैं।
भक्ति भाव से इनको पूजें,
इनमें ही भगवान हैं।
जीवन का ये सच बताते,
जो उसका आधार है।
बच्चों से ये प्यार जताते,
उनका ये अधिकार है।
खेल खेल में पाठ पढ़ाते,
गुरु जी का आभार है।
शिक्षा का ये महत्व बताते,
इनका ये उपकार है।
माँ बाप भी यही समझाते,
इनका भी ये प्यार है।
बच्चे कभी राह न भटकें,
उनका ये अरमान है।
नाम कमाएंँ वो भी अपना,
जिससे हो सम्मान है।
उनका मान बढे फिर इतना,
जिसका उन्हें गुमान है।
मात पिता और गुरु हैं अपने,
ये भी तो वरदान हैं।
जो भी शिक्षा दे दे हमको,
वो ही गुरु समान है।
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देवेश दीक्षित
©Devesh Dixit
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अक्षर अक्षर हमें सिखा कर
अक्षर अक्षर हमें सिखा कर,
देते अद्भुत ज्ञान हैं।
उस ज्ञान से परिपक्व हो कर,
मिला हमें सम्मान है।