ना आसूंओं से छलकते हैं ना कागज पर उतरते हैं, दर्द

"ना आसूंओं से छलकते हैं ना कागज पर उतरते हैं, दर्द कुछ होते हैं ऐसे जो बस भीतर ही भीतर पलते हैं.."

 ना आसूंओं से छलकते हैं ना कागज पर उतरते हैं,
 दर्द कुछ होते हैं ऐसे जो बस भीतर ही भीतर पलते हैं..

ना आसूंओं से छलकते हैं ना कागज पर उतरते हैं, दर्द कुछ होते हैं ऐसे जो बस भीतर ही भीतर पलते हैं..

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