अपने हर टूटे बिखरे उदासी से भींगे हुए सपनों को स | हिंदी शायरी

"अपने हर टूटे बिखरे उदासी से भींगे हुए सपनों को समेटर उसे एक नया नाम दिया है।कुछ कर गुजरने की चाहत तो न जाने कब से थी,पर आज कहीं जाकर अपनी हर चाहत को एक मुक्कमल जहाँ दिया है।। ©Rupam Mahto"

 अपने हर टूटे बिखरे उदासी से भींगे हुए  सपनों को 
समेटर उसे एक नया नाम दिया है।कुछ कर गुजरने की चाहत तो न जाने कब से थी,पर आज कहीं जाकर अपनी हर चाहत को एक मुक्कमल जहाँ  दिया है।।

©Rupam Mahto

अपने हर टूटे बिखरे उदासी से भींगे हुए सपनों को समेटर उसे एक नया नाम दिया है।कुछ कर गुजरने की चाहत तो न जाने कब से थी,पर आज कहीं जाकर अपनी हर चाहत को एक मुक्कमल जहाँ दिया है।। ©Rupam Mahto

#सपनों का जहाँ

#AloneInCity

People who shared love close

More like this

Trending Topic