कुछ है ही नहीं कहने को मन भी नहीं करता चुप रहने क

"कुछ है ही नहीं कहने को मन भी नहीं करता चुप रहने को चाहत का ये कैसा असर है है छोटी या फिर ये लंबा सफर है बता सकता हूं सब तुमसे मगर फिर होगा क्या इसका भी है डर ना अब मैं यहां रह सकता हूं मेरे संग चलो यह भी तो ना कह सकता हूं ©Manikant"

 कुछ है ही नहीं कहने को
 मन भी नहीं करता चुप रहने को
चाहत का ये कैसा असर है
है छोटी या फिर ये लंबा सफर है
बता सकता हूं सब तुमसे मगर
फिर होगा क्या इसका भी है डर
ना अब मैं यहां रह सकता हूं
मेरे संग चलो यह भी तो ना कह सकता हूं

©Manikant

कुछ है ही नहीं कहने को मन भी नहीं करता चुप रहने को चाहत का ये कैसा असर है है छोटी या फिर ये लंबा सफर है बता सकता हूं सब तुमसे मगर फिर होगा क्या इसका भी है डर ना अब मैं यहां रह सकता हूं मेरे संग चलो यह भी तो ना कह सकता हूं ©Manikant

#selflove

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