- बड़ा काम है नवा काम है-
कविता फसिगै कलावंत के चक्कर मा
उजरे बिरवा जस बसंत के चक्कर मा
हनूमान तब पता लगाएन सीता का
जब परिगे उइ जामवंत के चक्कर मा
कविता फसिगै कलावंत के चक्कर मा।
शकुंतला की गिरी अंगूठी पानी मा
दर-दर भटकी उइ दुष्यंत के चक्कर मा
बिन मेहनति धन उनका दुगुना होइ जाई
जुआं मा हारे उइ तुरंत के चक्कर मा
कविता फसिगै कलावंत के चक्कर मा।
ऊंचि आसरम मुला आचरण नीचि मिले
करम फूटिगे साधु संत के चक्कर मा
कविता फसिगै कलावंत के चक्कर मा
कान पकरि उठि बैठि पुलिस जब हड़काइसि
फंसे रोमियो अब महंत के चक्कर मा
कविता फसिगै कलावंत के चक्कर मा
उजरे विरवा जस बसंत के चक्कर मा।।
©Vineet Kumar
#PoetInYou