इस बार दिपावली को प्रदूषण मुक्त एंव खुशीयों की दीव | हिंदी विचार

"इस बार दिपावली को प्रदूषण मुक्त एंव खुशीयों की दीवाली मनाएं। इस बार आप सभी चायनीज वस्तुएं न लें व अपनी मिट्टी से बने दियों🕯 का प्रयोग कर मनायें। जब आप चायनीज झालरे लेते हैं तो कम से कम 10 मीटर की 60 से 80 रू० तक की मिलती है। और सिर्फ एक तो आप लगा नहीं सकते हैं कम से कम 30 मीटर छोटे घरों में लग ही जाती है यानी 120/240 रू० खर्च हो जाते हैं। साथ ही आपकी बिजली भी खर्च होती है एंव यहां का रूपया दुसरे देश में चला जाता है। और दीप सिर्फ 30 के 25 मिलते हैं और पुरे घर में लगभलग 75 दीप ही लग पाते हैं। इसका एक वैज्ञानिक कारण भी है जब तेल का दीपक मिट्टी से बने दीप🕯 में जलता है तो पर्यावरण में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करता है और पर्यावरण को साफ करता है उसकी रोशनी🕯 एक अलग ही आनंद देता है। साथ ही अगर विजली चली जाए तो आपकी खुशीयों को दोगुना कर देती है। इस वार आप सभी पटाखों को न जलाएं क्योंकि जब जलाते हैं तो हमारा पर्यावरण🏞 प्रदूषित होता ही है साथ ही अगर आपकी त्वचा झुलस🤕 जाए तो पुरे जीवन भर उसका एहसास बना रहता है यानी एक तरह से जिदंगी की आधी खुशियां चली जाती है। इसकी जगह आप पटाखों🧨को छोड़कर उन रूपयों से उन बच्चों और लोगों के साथ दीवाली मनाएं जो अकेले हैं निर्धन हैं अपनी खुशियां उनके साथ दोगुनी कर उनकी दीवाली को और भी ज्यादा अच्छी बनाएं। ये त्योहार खुशियों का त्योहार है इस दिपावली अपनी खुशीयों को औरों के साथ दुगनी कर एक नई सोंच वाली दीवाली मनाएं। विकास कुमार एक नई सोंच के साथ"

 इस बार दिपावली को प्रदूषण मुक्त एंव खुशीयों की दीवाली मनाएं।
इस बार आप सभी चायनीज वस्तुएं न लें व अपनी मिट्टी से बने दियों🕯 का प्रयोग कर मनायें।
जब आप चायनीज झालरे लेते हैं तो कम से कम 10 मीटर की 60 से 80 रू० तक की मिलती है। और सिर्फ एक तो आप लगा नहीं सकते हैं कम से कम 30 मीटर छोटे घरों में लग ही जाती है यानी 120/240 रू० खर्च हो जाते हैं। साथ ही आपकी बिजली भी खर्च होती है एंव यहां का रूपया दुसरे देश में चला जाता है।
और दीप सिर्फ 30 के 25 मिलते हैं और पुरे घर में लगभलग 75 दीप ही लग पाते हैं।
       इसका एक वैज्ञानिक कारण भी है जब तेल का दीपक मिट्टी से बने दीप🕯 में जलता है तो पर्यावरण में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करता है और पर्यावरण को साफ करता है उसकी रोशनी🕯 एक अलग ही आनंद देता है।
साथ ही अगर विजली चली जाए तो आपकी खुशीयों को दोगुना कर देती है।
इस वार आप सभी पटाखों को न जलाएं क्योंकि जब जलाते हैं तो हमारा पर्यावरण🏞 प्रदूषित होता ही है साथ ही अगर आपकी त्वचा झुलस🤕 जाए तो पुरे जीवन भर उसका एहसास बना रहता है यानी एक तरह से जिदंगी की आधी खुशियां चली जाती है। 
इसकी जगह आप पटाखों🧨को छोड़कर उन रूपयों से उन बच्चों और लोगों के साथ दीवाली मनाएं जो अकेले हैं निर्धन हैं अपनी खुशियां उनके साथ दोगुनी कर उनकी दीवाली को और भी ज्यादा अच्छी बनाएं।
ये त्योहार खुशियों का त्योहार है इस दिपावली अपनी खुशीयों को औरों के  साथ  दुगनी कर एक नई सोंच वाली दीवाली मनाएं।
 विकास कुमार
  एक नई सोंच के साथ

इस बार दिपावली को प्रदूषण मुक्त एंव खुशीयों की दीवाली मनाएं। इस बार आप सभी चायनीज वस्तुएं न लें व अपनी मिट्टी से बने दियों🕯 का प्रयोग कर मनायें। जब आप चायनीज झालरे लेते हैं तो कम से कम 10 मीटर की 60 से 80 रू० तक की मिलती है। और सिर्फ एक तो आप लगा नहीं सकते हैं कम से कम 30 मीटर छोटे घरों में लग ही जाती है यानी 120/240 रू० खर्च हो जाते हैं। साथ ही आपकी बिजली भी खर्च होती है एंव यहां का रूपया दुसरे देश में चला जाता है। और दीप सिर्फ 30 के 25 मिलते हैं और पुरे घर में लगभलग 75 दीप ही लग पाते हैं। इसका एक वैज्ञानिक कारण भी है जब तेल का दीपक मिट्टी से बने दीप🕯 में जलता है तो पर्यावरण में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करता है और पर्यावरण को साफ करता है उसकी रोशनी🕯 एक अलग ही आनंद देता है। साथ ही अगर विजली चली जाए तो आपकी खुशीयों को दोगुना कर देती है। इस वार आप सभी पटाखों को न जलाएं क्योंकि जब जलाते हैं तो हमारा पर्यावरण🏞 प्रदूषित होता ही है साथ ही अगर आपकी त्वचा झुलस🤕 जाए तो पुरे जीवन भर उसका एहसास बना रहता है यानी एक तरह से जिदंगी की आधी खुशियां चली जाती है। इसकी जगह आप पटाखों🧨को छोड़कर उन रूपयों से उन बच्चों और लोगों के साथ दीवाली मनाएं जो अकेले हैं निर्धन हैं अपनी खुशियां उनके साथ दोगुनी कर उनकी दीवाली को और भी ज्यादा अच्छी बनाएं। ये त्योहार खुशियों का त्योहार है इस दिपावली अपनी खुशीयों को औरों के साथ दुगनी कर एक नई सोंच वाली दीवाली मनाएं। विकास कुमार एक नई सोंच के साथ

इस दीवाली नई सोंच वाली 😊
#नईसोच #nojoto

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