शीर्षक : बन तु भी कभी माँ और पिता...
दुःख, पीड़ा, दर्द, वेदना कभी समझ ना पाओगे
खो दोगे अपने माँ और पिता
वेदना घोर पाओगे...२
एक दिन इस जीवन में तुम इतना पछताओगे
समय का पहिया सब जाने,
माँ पिता बन जाओगे... २
उनकी जो भी अवस्था रही
समय तुम पर भी आयेगी
काल चक्र खेल रचाए
पीड़ा मन में सतायेगी...।
शायद, तब अपने पिता माँ का
दर्द तुम समझ पाओगे
कुछ ना कर पाओगे... २
ना सीने से लगा पाओगे... २
©Sanjay Hajrika
ban Tu bhi Kabhi maa or pita
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