हम साजिशों में घिरें हैं, हर बात के दो सिरे हैं उ | हिंदी Shayari

"हम साजिशों में घिरें हैं, हर बात के दो सिरे हैं उठकर हम कई बार गिरें हैं, दुखी हम ही नहीं निरें हैं| ©Tejaswini"

 हम साजिशों में घिरें हैं,
 हर बात के दो सिरे हैं
उठकर हम कई बार गिरें हैं, 
दुखी हम ही नहीं निरें हैं|

©Tejaswini

हम साजिशों में घिरें हैं, हर बात के दो सिरे हैं उठकर हम कई बार गिरें हैं, दुखी हम ही नहीं निरें हैं| ©Tejaswini

#betrayal

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