गीतिका सांझ जब आंसू बहाये, बैठ दिल के द्वार पर। | हिंदी Shayari Video

"गीतिका सांझ जब आंसू बहाये, बैठ दिल के द्वार पर। क्या भरोसा भोर का फिर, क्या तुम्हारे प्यार पर। छीन निष्ठुर वक्त ने वो ख़त जला डाले सभी जो लिखे थे 'चांदनी' ने बैठ के कचनार पर। बर्फ जैसे हो गये हैं स्वप्न सारे नेह के अब भला पिघलें तो कैसे और किस आधार पर। टूटकर बरसा बहुत ही और क्या करता भला जब नहीं मानी नदी फिर मेघ की मनुहार पर। और भी पाना बहुत कुछ ज़िन्दगी तुमसे हमें कब कटा जीवन किसी का चुंबनी उपहार पर। लुट गईं संवेदनाएं सब तुम्हारी राह में तय भला कैसे सफर हो प्रीति के उद्गार पर। सोचिए तब वेदना की हद रही होगी कहां ? रो पड़ा जब शूल कोई फूल के व्यवहार पर। ------ धीरज श्रीवास्तव ©Dheeraj Srivastava "

गीतिका सांझ जब आंसू बहाये, बैठ दिल के द्वार पर। क्या भरोसा भोर का फिर, क्या तुम्हारे प्यार पर। छीन निष्ठुर वक्त ने वो ख़त जला डाले सभी जो लिखे थे 'चांदनी' ने बैठ के कचनार पर। बर्फ जैसे हो गये हैं स्वप्न सारे नेह के अब भला पिघलें तो कैसे और किस आधार पर। टूटकर बरसा बहुत ही और क्या करता भला जब नहीं मानी नदी फिर मेघ की मनुहार पर। और भी पाना बहुत कुछ ज़िन्दगी तुमसे हमें कब कटा जीवन किसी का चुंबनी उपहार पर। लुट गईं संवेदनाएं सब तुम्हारी राह में तय भला कैसे सफर हो प्रीति के उद्गार पर। सोचिए तब वेदना की हद रही होगी कहां ? रो पड़ा जब शूल कोई फूल के व्यवहार पर। ------ धीरज श्रीवास्तव ©Dheeraj Srivastava

#chaand #साँझ

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