वो तैरते-तैरते भी डूब गए जिन्हें खुद पर गुमान था, पर वो डूबते-डूबते भी तैर गए जिन पर तू मेहरबान था मेरे प्यारे कभी डरते थे कभी डर लगता था कि छुप-छुप याद करते थे प्यार अब जाहिर कर बैठे जो होगा देखा जायेगा कभी तो डर था कि ये दुनिया हमें तो छोड़ बैठेंगी आज खुद दूर जा बैठे जो होगा देखा जाएगा
©Er.Navneet Yadav Shubh
कृपा हे श्री राधेगोविंद 🙏🙏