orange string love light दिन जल्दी जल्दी ढलता है
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है।
हो जाय न पथ में रात कहीं, मंज़िल भी तो है
दूर नहीं यह सोच थका दिन का पंछी भी
जल्दी-जल्दी चलता है।
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है।
बच्चे प्रत्याशा में होंगे, नीड़ों से झाँक रहे होंगे
यह ध्यान परों में चिड़ियों के भरता कितनी चंचलता है।
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!
मुझसे मिलने को कौन विकल?
मैं होऊँ किसके हित चंचल?
यह प्रश्न शिथिल करता पद को,
भरता उर में विह्वलता है।
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है।
©Jay Verma
#lovelight