कोई मुकाम छूट जाता है कोई हाथ छूट जाता है।। शहर जब | हिंदी शायरी

"कोई मुकाम छूट जाता है कोई हाथ छूट जाता है।। शहर जब जब बदलता कोई साथ छूट जाता है।। छूट जाने से बस अहसास नहीं छूटता। इसे जान जाएं तो सफर- ए -जीवन समझ आ जाता है।। ©ravi parihar"

 कोई मुकाम छूट जाता है
कोई हाथ छूट जाता है।।
शहर जब जब बदलता कोई साथ छूट जाता है।।

छूट जाने से बस अहसास नहीं छूटता।
इसे जान जाएं तो  सफर- ए -जीवन समझ आ जाता है।।

©ravi parihar

कोई मुकाम छूट जाता है कोई हाथ छूट जाता है।। शहर जब जब बदलता कोई साथ छूट जाता है।। छूट जाने से बस अहसास नहीं छूटता। इसे जान जाएं तो सफर- ए -जीवन समझ आ जाता है।। ©ravi parihar

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