"Alone
रौनक न रही अब बाग़ ये वीरान हो गया
एक चिंगारी से दिल मेरा शमशान हो गया
उस से बिछड़ के सोचा था रह न पायेंगे
जीना मगर और भी आसान हो गया
एक वक्त था कि धूम थी मेरी ही शहर में
फिर अपने ही शहर में गुमनाम हो गया
कल तक जो मेरे दिल के सबसे क़रीब था
कैसे कहें किसी से कि अनजान हो गया
नैनों की बरछियां हो, ज़ुल्फों का पेच व खम
उसकी हर एक अदा पर मैं हैरान हो गया"