लिखने बैठु कुछ माँ पर तो आँखो से आँसु बह जाता हैं | हिंदी Shayari

"लिखने बैठु कुछ माँ पर तो आँखो से आँसु बह जाता हैं कितना कमा लु ज़िंदगी में बेशक मगर माँ का कर्ज रह जाता हैं #akshayaggrawal"

 लिखने बैठु कुछ माँ पर
तो आँखो से आँसु बह जाता हैं

कितना कमा लु ज़िंदगी में बेशक
मगर माँ का कर्ज रह जाता हैं

#akshayaggrawal

लिखने बैठु कुछ माँ पर तो आँखो से आँसु बह जाता हैं कितना कमा लु ज़िंदगी में बेशक मगर माँ का कर्ज रह जाता हैं #akshayaggrawal

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