तुम्हारे हुस्न का जलवा नकाब में क्यों है ,
ये काँटा सा लगा है तो गुलाब में क्यों है..
वो ख्वाब में तो बहुत ही हसीन लगती है ,
मुझे मिले भी सही मेरे ख्वाब में क्यों है..
हमारे वास्ते वो फूल जो खरीदा था ,
मगर वो फूल अभी तक किताब में क्यों है..
जो पाता है वो उसी को हो जाता है जाना ,
कुछ इस तरह का नशा भी शराब में क्यों है..
वो रूठ जाए मनाना बहुत ही मुश्किल है ,
खुदा ही जाने ये नखरें जनाब में क्यों है..
अगर तू चाहे तो दिल से निकाल दो मुझको ,
मगर ये नफरतें तेरे जवाब में क्यों है..... @Mr Khan
Mr Khan New Life
#Flute