White "मैं आज भी रहती हूं वही, जहां मैं कल तक रहती | हिंदी Poetry

"White "मैं आज भी रहती हूं वही, जहां मैं कल तक रहती थी तस्वीर वही है आज भी ,महज सूरत बदलती रहती हैं।" बदले कई नजारे हैं पर बदले कहां मेरे कोई सितारे हैं जैसे,- आज भी सूरज उगता है प्रभात को उजला करने को आज भी वही चांद रात को रौशन करता है। वैसे-- गुड़िया आज भी जाती है स्कूल सरकारी गोलू अब भी प्राइवेट जाता है। गुड़िया को दहेज़ का दूल्हा अब भी पकड़ाया जाता है गोलू के सरकारी होने का अब भी ताव दिखाया जाता है। धरी रह गई ज्ञान की बातें जीवन में एक भी उतर न पाया है कोख में गुड़िया के, गुड़िया होने की शंका पर अब भी घर में मुंह बिचकाया जाता है । अब गुड़िया है खुद एक शिक्षक फिर भी इसको दुनियादारी का पाठ पढ़ाया जाता है। लड़की हो तुम ध्यान रखो कुछ मर्यादा याद दिलाया जाता है । बंधन की सब उम्मीदें गुड़िया से गोलू अब भी आजाद ही पाया जाता है घर के सारे काम निपटाओ तब ही तुम दफ्तर जा पाओ शाम को जब भी वापस आप सब्जी तुम ही घर लेकर आओ। काम से वापस काम पे आओ तब तुम काम की कहलाओ। ©gudiya "

White "मैं आज भी रहती हूं वही, जहां मैं कल तक रहती थी तस्वीर वही है आज भी ,महज सूरत बदलती रहती हैं।" बदले कई नजारे हैं पर बदले कहां मेरे कोई सितारे हैं जैसे,- आज भी सूरज उगता है प्रभात को उजला करने को आज भी वही चांद रात को रौशन करता है। वैसे-- गुड़िया आज भी जाती है स्कूल सरकारी गोलू अब भी प्राइवेट जाता है। गुड़िया को दहेज़ का दूल्हा अब भी पकड़ाया जाता है गोलू के सरकारी होने का अब भी ताव दिखाया जाता है। धरी रह गई ज्ञान की बातें जीवन में एक भी उतर न पाया है कोख में गुड़िया के, गुड़िया होने की शंका पर अब भी घर में मुंह बिचकाया जाता है । अब गुड़िया है खुद एक शिक्षक फिर भी इसको दुनियादारी का पाठ पढ़ाया जाता है। लड़की हो तुम ध्यान रखो कुछ मर्यादा याद दिलाया जाता है । बंधन की सब उम्मीदें गुड़िया से गोलू अब भी आजाद ही पाया जाता है घर के सारे काम निपटाओ तब ही तुम दफ्तर जा पाओ शाम को जब भी वापस आप सब्जी तुम ही घर लेकर आओ। काम से वापस काम पे आओ तब तुम काम की कहलाओ। ©gudiya

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