होंठ हँसते हैं मेरे
पर मन ना जाने क्यूँ रंजीदा सा रहता है,
ये कैसी उलझनों मे आजकल मेरा दिल रहता है,
राहें गर हैं जुदा तो क्यूँ अब साथ रहना है
कहने को जब कोई बात नही तो क्यूँ
हर दिन दिल उदास रहता है
दिल में दफ़न हैं कई राज ए उल्फ़त उसके
जिन को अपनी ख़बर नहीं अब तक
वो मिरे दिल का राज़ क्या जानें
©Rakhi Khandelwal
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