कोई समझा ही नहीं आँख में ठहरे दर्द को.....।। सब़

"कोई समझा ही नहीं आँख में ठहरे दर्द को.....।। सब़ कों तो हंसती हुई तस्वीर हीं दिंखतीं हैं......।। ©Ek Maitri Veda dipakraj"

 कोई समझा ही नहीं आँख में ठहरे दर्द को.....।।

सब़ कों तो हंसती हुई तस्वीर हीं दिंखतीं हैं......।।

©Ek Maitri Veda dipakraj

कोई समझा ही नहीं आँख में ठहरे दर्द को.....।। सब़ कों तो हंसती हुई तस्वीर हीं दिंखतीं हैं......।। ©Ek Maitri Veda dipakraj

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