रिश्तो से रिश्ता जोड़ने वाले अपने थे,
कभी हमारे पीछे दौड़ने वाले अपने थे,
जब कभी भी ज़रूरत पड़ी अपनों की,
छुप कर मुँह को मोड़ने वाले अपने थे,
हमने तो लाज रखी थी रिश्तो की मगर,
बेशर्मी की चादर ओढ़ने वाले अपने थे,
जो केहते थे साथ तुम्हारा छोड़ेगे नहीं,
ज़रूरत पड़ने पर छोड़ने वाले अपने थे,
गैरो की बेवफाई से गिला नहीं फ़ाज़िल,
ये कमवक़्त दिल तोड़ने वाले अपने थे!
©shayeri with fazil
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