ओस की की एक बूंद सी होती है बेटियां स्प्रस अगर खुदरा हो तो रोती है बेटियां रोशन करेगा एक कुल को दो -दो कुलो की लाज़ को ढोती है बेटियां कोई नहीं दोस्त एक दूसरे से कम हीरा अगर है बेटा तो मोती है बेटियां भूख प्यास सह के खिलाती है बेटियां घुट घुट के जीती है कांप जाती है बेटियां
©Arvind Kumar
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