ख़त तुम्हारे लबों की छाप वाले ख़त, सम्हाल रखे हैं आ | हिंदी शायरी

"ख़त तुम्हारे लबों की छाप वाले ख़त, सम्हाल रखे हैं आज भी, तुम मेरे दिल के साथ साथ-साथ, मेरे घर में भी हो आज भी। डॉ. दीपक कुमार 'दीप' . ©Dr Deepak Kumar Deep"

 ख़त तुम्हारे लबों की छाप वाले ख़त,
सम्हाल रखे हैं आज भी,
तुम मेरे दिल के साथ साथ-साथ,
मेरे घर में भी हो आज भी।

डॉ. दीपक कुमार 'दीप'







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©Dr Deepak Kumar Deep

ख़त तुम्हारे लबों की छाप वाले ख़त, सम्हाल रखे हैं आज भी, तुम मेरे दिल के साथ साथ-साथ, मेरे घर में भी हो आज भी। डॉ. दीपक कुमार 'दीप' . ©Dr Deepak Kumar Deep

#ख़त

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