मेरी नाराज़गी को उसने कुछ यूं समझा,
उसने कहा 'प्यार हो गया क्या मुझसे',
लब्ज़ खामोश रहे मेरे।
कुछ दिनों बाद फिर उसने कहा,
'मुझसे ही शादी करोगी क्या',
इस बार लब्ज़ लड़खड़ाए बस।
गहरी सांस लेकर फिर उसने कहा,
तुम्हारे कुछ बन जाने तक मैं "इंतजार" करुंगा।
मुझे अचानक ऐसा लगा कि इस समाजिक परिवर्तन का एक "किरदार" मैं भी बन गई।।
©Soni s...
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